हमें राक्षसों की तरह रहने की आदत होती जा रही है। हमारे तन और मन की जो दुर्गत हो रही है उसकी एक वजह यह भी है। हम फोन, लैपटॉप और शिमला में आनंद ढूंढते हैं, जब प्रकृति के आनंद बरसाने की बारी होती है तब हमारी सोने की तैयारी ...
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