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गोमुखासन करने का सही तरीका और लाभ

आपके फेफड़ों में 1 करोड़ 50 लाख छेद होते हैं। मॉर्डन मेडिकल साइंस के पास इन बारीक छिद्रों को साफ करने का कोई तरीका नहीं है। फेफड़े शरीर के भीतर होते हैं ये मोटरसाइकिल के फिल्‍टर की तरह नहीं होते कि बाहर निकाला और साफ कर दिया या बदल दिया। लेकिन योग विज्ञान के पास फेफड़ों के छेदों की सफाई करने और उनकी कैपेसिटी बढ़ाने का बड़ा आसान तरीका है-गोमुखासन। बस इस आसन में तीन मिनट बैठना है और लाभ हासिल करना है।
आपको शायद ये बात पता नहीं हो कि हम अपने फेफड़ों की महज 50 फीसदी से कम कैपेसेटी का इस्‍तेमाल करते हैं। बाकी का हिस्‍सा तो आमतौर पर आराम ही करता रहता है। गोमुखासन उस सुस्‍त पड़े हिस्‍से को भी काम में लाने लगता है।
यह आसन बहुत आसान से थोड़ा सा ऊपर है। अभ्‍यास करने के बाद कोई भी शख्‍स कर सकता है चाहे वो मोटा या पतला, आम शख्‍स हो बॉडी बिल्‍डर। यकीन मानें कुछ दिन के प्रयास के बाद ही आप इसे अच्‍छे से करने लगेंगे। इस आसन के कुछ जरूरी नियम हैं जिनके बारे में जरूर जान लें।

Gomukhasana karne ka sahi tarika
गोमुखासन फेफड़ों के लिए बहुत की फायदेमंद आसन है। Image courtesy : Toyaz kumar Singh

कैसे सही ढंग से करें गोमुखासन

  1. – सबसे पहले तस्‍वीर को गौर से देखें। पैरों की स्‍थिति आपको वहां से समझ जा जाएगी।
  2. – मैट या दरी पर आराम से बैठ जाएं। बाएं पैर को मोड़ कर ऐसे पीछे ले जाएं कि आपकी एड़ी हिप्‍स को छू जाए।
  3. – अब दाएं पैर को बाएं पैर के ऊपर रखकर ऐसे मोड़ो की उसकी एड़ी भी हिप्‍स को छू जाए या उसके नजदीक आ जाए।
  4. – एड़ी का छूना अनिवार्य नहीं है। कोशिश करें कि दोनों धुटने ठीक एक के ऊपर एक हों।
  5. – अगर डगमगाने लगें तो पैरों को थोड़ा और खोल लें यानी एड़ी को हिप्‍स से थोड़ा और दूर ले जाएं1
  6. – गौर करें, दाएं घुटने के ऊपर बाईं हथेली रखें हथेली की कटोरी बनाते हुए। फिर दाईं हथेली को बाईं हथेली के ऊपर रख दें।
  7. – नियम ये है कि जो पैर ऊपर रहेगा वही हाथ ऊपर रहेगा। हमने आपको दायां पैर ऊपर रखने को कहा, इसीलिए दायां हाथ भी ऊपर रहेगा।
  8. – अब दायां हाथ को ऊपर उठाएं और कान से लगाते हुए मोड़ कर पीछे ले जाएं।
  9. – बाएं हाथ को अपनी कमर के बगल से मोड़ें और थोड़ा कंधों, बाजुओं व खुद को अडजस्‍ट करते हुए। दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाने की कोशिश करें।
  10. – पूरी हथेली न फंसती हो तो दो उंगलियां फंसाएं, वो भी नहीं फंसतीं तो जहां तक हाथ जा रहा है बस उसी अवस्‍था में बैठ जाएं।
  11. – सांस की गति सामान्‍य रहेगी और नजरें सामनें रखें। जितनी देर रुक सकते हैं रुकें फिर हाथ और पैरों की स्‍थितियों को बदलते हुए आसन करें। अबकी बार बायां पैर और बायां हाथ ऊपर रहेगा।

गोमुखासन के लाभ

  •  इसका सबसे बड़ा फायदा है फेफड़ों की सफाई और उनकी क्षमता का विकास।
  •  जिन लोगों को सांस की परेशानी दमा वगैरा है उन्‍हें इसका नियमित अभ्‍यास करने की सलाह दी जाती है।
  •  इससे कंधों का कड़ापन दूर होता है, घुटने और पैर मजबूत बनते हैं।
  •  खून साफ होता है और ब्‍लड फ्लो बेहतर हो जाता है।
  •  छाती चौड़ी होती है और मूलबंध लग जाता है। मूलबंध लगने के अपने कई फायदे हैं।
  •  मूत्र संबंधी रोग, आंतों के रोग, डायबिटीज, अपच और गठिया के रोग में राहत मिलती है।

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2 comments

  1. क्या गोमुखासन ह्रदय घात के रोगी भी कर सकते हैं ? यदि हाँ तो ह्रदय घात के कितने दिन बाद कर सकते हैं ?

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