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सस्ते महंगे टूथपेस्ट में कोई फर्क नहीं होता, रिसर्च का दावा

गलतफहमी दूर कर लें। सस्ता वाला टूथपेस्ट भी दांतों की सफाई में उतना ही कारगर होता है, जितना महंगा वाला। बस उसमें तय लेवल में फ्लोराइड होना चाहिए। ब्रिटेन में हुई इस रिसर्च ने बड़े बड़े दावे करने वाली कई ब्रांडेड कंपनियों का सच सबके सामने रख दिया है। और सच ये है कि सबके वादों में कैविटी है यानी वो खोखले हैं।
ये रिर्सच विच? (Which?) ने की है। विच ने दांतों के डॉक्टरों के साथ मिलकर कई सस्ते, महंगे और स्पेशल टूथपेस्टों के नतीजों की पड़ताल की है। विच के प्रवक्ता ने कहा कि दांतों को सड़ने से बचाने या उनमें एसिड बनने से रोकने का ज्यादातर दारोमदार फ्लोराइड पर होता है। इसके अलावा दांतों की सेंसटिविटी को कंट्रोल करने में पोटेशियम नाइट्रेट का हाथ होता है। प्रवक्ता ने कहा, कुछ टूथपेस्टों ने खासतौर पर इनामेल प्रोटेक्शन का दवा किया, मगर उसकी पड़ताल की तो पता चला कि उसका दारोमदार भी फ्लोराइड के ही ऊपर है, उन्होंने अलग से कुछ नहीं किया। इसका सीधा सा मतलब है कि इनामेल प्रोटेक्शन के लिए भी आपको किसी स्पेशल टूथपेस्ट को खरीदने की कोई जरूरत नहीं है। इनामेल वाले दावे की जांच के लिए रिसर्च में हैमर इनामेल प्रो रिपेयर व्हाइटनिंग विद बेकिंग सोडा एंड लिक्विड कैलिशयम और सेंसोडाइन के प्रोनेमल डेली प्रोटेक्शन को शामिल किया। विच ने कहा कि उनके एक्सपर्ट को कोई ऐसा सबूत नहीं मिला जिसके बूते वो कह पाते कि साधारण टूथपेस्ट के मुकाबले ये स्पेशल टूथपेस्ट ज्यादा असर करते हैं।
दांतों की सेंसटिविटी को रोकने के दावों की जांच के लिए विच ने बूट्स स्माइल सेंस्टिव फ्रेशमेंट और सेंसोडाइन डेली केयर को चेक किया। दोनों ने यह काम पोटेशियम नाइट्रेट पर छोड़ रखा था, जबकि वहां सेंसोडाइन की कीमत बूट्स के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है। विच के मुताबिक, दोनों में एक जैसे ही तत्व हैं इसलिए देखा जाए तो दोनों बराबर हैं।
विच के एक्सपर्ट ने दांतों को सफेद करने के इनके दावे की भी पोल खोल दी। दांतों को सफेद करने के दावे की पुष्टि करने वाला कोई ठोस सबूत ही नहीं मिला।
स्रोत : डेली मेल

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